Sunday, September 5, 2010

खाक में मिलती धरोहर

हैरिटेज सिटी का सपना संजोये फतेहपुर नगर की एक और धरोहर ने सिसकते सिसकते आखिर दम तोड़ दिया. प्रशासन की लापरवाही और प्रवासियों की बेरुखी का खामियाजा एक बार फिर हमारी जन्म भूमि को भुगतना पड़ा है. बावड़ी गेट पर मुख्य सड़क पर अवस्थित लाल पत्थरों वाली हवेली अपनी बेजोड़ कलाकारी व नक्काशी के कारण हमेशा से विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र थी. हवेली लाल पत्थरों से निर्मित अपने प्रकार की अकेली हवेली थी तथा स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना थी. उल्लेखनीय है क़ि गत मास में ही एक अन्य हवेली भी इसी प्रकार सार-संभाल व देखरेख के अभाव में काल कवलित हो गयी थी
.

नगर में अभी भी सैंकड़ो की तादाद में ऐसी हवेलियाँ हैं जो वास्तविक मालिकों के प्रवास के कारण बिना सार-संभाल व देख रेख के आखिरी साँसें ले रहीं हैं. अगर प्रवासी वर्ग इस सन्दर्भ में कुछ जागरूक हो और प्रशासन की नींद टूटे तो न सिर्फ इस अनमोल धरोहर को मिटने से बचाया जा सकता है, अपितु अगर भली- भांति इस दिशा में सुव्यवस्थित प्रयास किये जायें तो विश्व के पर्यटन मानचित्र पर फतेहपुर नए कोहिनूर के रूप में चमक सकता है.

1 comment:

  1. बसंत बीतग्यो बासी पड़गी

    फागण री फगुवार

    चेता-चूक चेत सावणियो

    नैनां काजळ सार

    कुरजां कैइजो सायब जी नै आओ लारम-लार

    चान्दडलो गिगनार

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