Sunday, September 12, 2010

आसमान भी रो पड़ा आरती और अजान सुनकर

आज जब गणेश और अल्लाह गले मिले तो ऐसा लगा जैसे सारी सृष्टि इस अनोखे संगम का अनूठा आनंद उठा रही हो और इन्द्र देव की आँखों से खुशियों के आंसू बरस बरस कर सभी को क्षमापना पर्व की शुभ कामनाएं दे  रहे हों. आज गणेश चतुर्थी और ईदुलफितर के संगम पर पूरे दिन धीमी धीमी फुहारें बरसती रही और मौसम खुशनुमा बना रहा. साथ ही साथ जैन समाज के  क्षमापना पर्व के भी आने से तीन मजहबों के पर्वों की त्रिवेणी ने फिजां में अनूठी खुशी घोल दी.

आज बरसों बाद गणेश चतुर्थी और ईद का त्यौहार एक ही दिन आया और सभी नगर वासी जश्न के रंग में डूबे रहे.एक तरफ मंदिरों में भगवान गणेश के जन्मोत्सव के डंके बज रहे थे, वहीं दूसरी ओर मस्जिदों व ईदगाह पर मुल्क में अमन-चैन की दुआ मांगी जा रही थी। अल्लाह की इबादत में जहां एक साथ हजारों हाथ उठे वहीं दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी। चारों तरफ बहती खुशियों की बयार में हिन्दू और मुस्लिमों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं प्रेषित कर आपसी भाईचारे को परवान चढ़ाया। हर घर में उत्सव था। गली-गली में खुशियां बिखरी थी। आरती, आराधना और इबादत के अद्भुत मेल से श्रद्धा लबरेज थी।

ईदुफितर की नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। मुबारकबाद देने के लिए काफी तादाद में हिंदू भी पहुंचे। ईद की वजह से बाजारों में दिनभर खासी चहल-पहल रही।  गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के बीच गणोश चतुर्थी हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। घर-घर गणपति की स्थापना की गई। सुबह से शाम तक श्रद्धालु गणपति की पूजन-अर्चन में लगे रहे।घरों  के मुख्य दरवाजे पर स्थित गणोशजी की मूर्ति को भी सिंदूर व नए वस्त्र चढ़ाकर परिवार के सदस्यों ने मिलकर पूजा-अर्चना कर सुख-शांति की प्रार्थना की।  मुख्य डाकघर के पास गणेश पूजा महोत्सव का शुभारम्भ किया गया जिसमे नगर के कई गणमान्य नागरिकों ने शिरकत की 

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