पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत में मनाए जाने वाले मोहर्रम पर शुक्रवार को ढोल, ताशे और नगाड़ों की मातमी धुनों के बीच ताजिए निकाले गए। जुलूस में लुहारान, तेलियान, मुगलान, इलाहीयान आदि विभिन्न अखाड़ों के करतबबाजों ने पूरे रास्ते हैरत अंगेज करतब दिखाए। पीर अमजद अली की रहनुमाई में शुक्रवार सुबह पीर के रोजे से मोहर्रम का जुलूस शुरू हुआ, जो लुहारों का मोहल्ला, देवड़ा स्कूल, पुराने सिनेमा हॉल चौराहा, बावड़ी गेट, आशाराम मंदिर, सीकरिया चौरास्ता, आजाद सीसै स्कूल व सरकारी टंकी होते हुए एनएच ११ स्थित शेर सुल्तान की दरगाह स्थित कर्बला तक पहुंचा। जुलूस के रास्ते में विभिन्न अखाड़ों से निकाले जाने वाले ताजिये मुख्य जुलूस से जुड़ते गए। ताजियों में करीब दस घंटे तक युवा पूरे जोशखरोश के साथ मातमी धुन पर ढोल, ताशे बजाकर हैरत अंगेज करतब पेश करते रहे। जुलूस में अनेक स्थानों पर लोगों को छबील पिलाई गई। सीकरिया चौरास्ता पर देवड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा, चेजारों के मोहल्ले में कौम चेजारान द्वारा, सार्वजनिक गणपति चौक में कौमी एकता मंच, सिनेमा हाल के पास भैरूं भवानी चौक, सिटी मार्केट में कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को छबील पिलाया गया। बावड़ी गेट पर एसडीएम फतेह मोहम्मद खान, पालिकाध्यक्ष मधु भिंडा आदि ने मोहर्रम के जुलूस का नेतृत्व कर रहे पीर अमजद अली का माल्यार्पण कर स्वागत किया। जुलूस के लिए प्रशासन और पुलिस ने यातायात और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की। जुलूस में एसडीएम फतेह मोहम्मद खान, तहसीलदार सज्जनसिंह शेखावत और पुलिस महकमा पूरे जाब्ते के साथ मौजूद था | जुलूस में ग्रामीण क्षेत्र से भी हजारों लोग आए।
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