गुरुवार को इस्लामी कैलेंडर मोहर्रम की नौ तारीख को कत्ल की रात मनाई गई। पीर अमजद हुसैन ने बताया कि कत्ल की रात को ताजियों को बाहर निकाला गया और मोहल्ले में गश्त करवाई गई। कस्बे में कत्ल की रात को पीर का रोजा से सोने-चांदी का ताजिया बाहर निकाला गया और मोहल्ला चेजारान, मोहल्ला लुहारान आदि में गश्त करवाई गई। इसके अलावा लुहारों के मोहल्ले, मोहल्ला तेलियान, मोहल्ला मुगलान, मोहल्ला शेखान आदि में भी ताजियों को बाहर निकाला गया तथा मोहल्ले में गश्त करवाई गई। पूरी रात अखाड़ों में मातमी धुनों पर ढोल-ताशे बजाए गए। मौलाना मंजूर सिद्दीकी सीकर ने बताया कि कत्ल की रात को कर्बला के मैदान में यजीद पलीद की सेना के खिलाफ पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों ने गश्त के साथ गुजारी थी और अगले दिन मोहर्रम की दस तारीख को सच्चाई, इंसानियत और इस्लामी उसूलों की हिफाजत के लिए शहीद हुए थे। इमाम हुसैन की शहादत को याद रखने के लिए मोहर्रम की नौ तारीख को कत्ल की रात मनाई जाती है और दस तारीख को मोहर्रम का जुलूस ढोल और ताशों पर मातमी धुनों के साथ निकाला जाता है। कस्बे में शुक्रवार को मोहर्रम का जुलूस पीर के रोजा के सज्जादानशीन पीर अमजद हुसैन की सदारत में निकाला जाएगा, जो मोहल्ला लुहारान, पुराने सिनेमा हाल, बावड़ी गेट, आशारामजी का मंदिर, सीकरिया चौरास्ता, आजाद सीसै स्कूल, सरकारी टंकी होता हुआ एनएच 65 पर शेर सुल्तान की दरगाह के पास कर्बला तक जाएगा। करीब 10 घंटे तक निकलने वाले जुलूस में दस हजार से अधिक लोग भाग लेते हैं।
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