खेतों को ना तो बैलों ऩे जोता और ना ही ट्रेक्टर घरघराया, जुताई और बुवाई के बिना ही खेत लहलहा उठे और उत्पादन भी तीन गुना अधिक | यह करिश्मा कर दिखाया है फतेहपुर के सदींसर के किसान नारायण प्रसाद रेवाड़ ऩे | जीवन के 77 बसंत देख चुके रेवाड ऩे खेती के लम्बे अनुभव के बल पर बिना हल चलाये बाजरे की खेती कर सभी को अचम्भे में डाल दिया है |
ऐसे हुआ करिश्मा : रेवाड़ ऩे 15 बीघा जमीन में एक फीट के अंतराल पर 9 से 10 इन्च गहरा गड्ढा खोदा | पूरे खेत में करीब 54000 गड्ढे खोदकर उनमें गबर की सड़ी गली खाद मिलाकर वापस भर दिए | मानसून की पहली बारिश के बाद हर गड्ढे को खुरपी से हल्का खोदकर संकर बाजरे के 4 से 5 बीज डाल दिए | बारिश के बाद पौधे निकल आये | अतिरिक्त पौधों को गड्ढे के पास रिक्त स्थानों पर अलग अलग रोप दिया |
सामान्यतया 15 बीघा जमीन से करीब 30 क्विंटल उत्पादन मिलता है लेकिन नयी तरकीब से रेवाड को करीब 85 क्विंटल उत्पादन और चार गुना अधिक चारा मिलने की उम्मीद है | जमीन के अन्दर खाद देने से मिट्टी की गुणवत्ता में भी खासी बढ़ोतरी हो गयी है जिसका फायदा करीब चार साल तक मिलेगा |
बहुत ही सराहनीय प्रयास ! आशा है रेवाड़ा जी से अन्य किसान भी प्रेरणा लेंगे |
ReplyDeleteरेवाडा जी को हमारी तरफ से बधाई भेज दीजिये
ReplyDeleteऔर किसानों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें
शुभ समाचार देने के लिये साधुवाद। किसान भाई भी कम नवाचारी (इन्नोवेटिव) नहीं हैं। इस तरह की कृषि के लिये बहुत से लोग आन्दोलन चला रहे हैं। इसे जुताई रहित कृषि (No-till farming) कहा जाता है।
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