रविवार को उगते सूरज की लालिमा के साथ ही हर तरफ अबीर, गुलाल की महक फैली हुई थी और फूल बरस रहे थे। साथ में तेज आवाज में भक्ति गीतों पर भक्तों के कदम थिरक रहे थे। नौ दिन तक मां दुर्गा की आराधना करने वाले भक्त सुबह दस बजने के साथ ही दो मां दुर्गा की मूर्तियों को विसर्जन के लिए लेकर रवाना हुए। बावड़ी गेट दुर्गा पूजा, न्यू मंडावा स्टैंड, मंडावा रोड सार्वजनिक शिवालय आदि स्थानों पर स्थापित दुर्गा पूजाओं का सामूहिक जुलूस निकाला गया। दोपहर में शहर के सभी प्रमुख मार्गो पर मां की भक्ति में लीन भक्तों की टोलियाँ नाच गा रही थी । महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सब जोश के साथ मां अम्बे की प्रतिमाओं के साथ चल रहे थे। शोभायात्रा के रूप में झांकियों के साथ राम की सवारी जब जोहड़े पर पहुंची तो हर किसी ने श्रीराम का वंदन किया।
जोहड़े के पिछले भाग में आतिशी नजारों के बीच बुराई के प्रतीक रावण की करीब बीस फुट ऊंची प्रतिमा का दहन श्रीराम के हाथों किया गया तो मैदान जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा, इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ऩे श्रीराम और माँ अम्बे की जयकार के नारे लगाए | जुलूस में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सहित दुर्गा पूजा समितियों द्वारा देवी-देवताओं की झांकियां सजाई गई। दशहरा मेले में बच्चों ने झूलों के साथ खाने-पीने का भी पूरा आनंद उठाया।
आपका ब्लॉग पढ़ कर हमें अच्छा लगा।विजयादशमी और दशहरा क्यों मनाया जाता है इसकी जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पे विजिट करें ।
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