ग्रामीणों की पहल से तीन साल में कारंगा बड़ा गांव के सरकारी स्कूल की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। 2007-08 में आठवी बोर्ड परीक्षा में सभी बच्चे फेल हो गए। एसडीएम के निरीक्षण में प्रिंसिपल शराब के नशे में मिला और उसका तबादला करना पड़ा। तीन साल पहले 10वीं के सभी बच्चों ने टीसी कटवा ली।
स्कूल बंद होने के कगार पर पहुंचा तो कुछ ग्रामीणों स्कूल के हालात बदलने की ठानी। स्कूल विकास समिति का पुनर्गठन किया। जनसहयोग से डेढ़ लाख रुपए का फर्नीचर मंगवाया, विधायक कोटे से 11.5 लाख रुपए से स्कूल की चार दीवारी बनाई। भामाशाह से गेट लगवाया और पानी की टंकी बनवाई। देखते ही देखते नतीजा भी सामने आने लगा। 10वीं कक्षा का परिणाम 100 फीसदी रहा। इसमें 82 फीसदी बच्चे फर्स्ट डिविजन से पास हुए।
हालात बदले तो इस साल नामांकन भी 126 से बढ़कर 180 पहुंच गया। इसमें भामाशाह फूलसिंह तंवर, शिक्षक ओमप्रकाश कड़वासरा, सुखदेवराम लांबा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। बेहतर परिणाम पर 15 अगस्त को हुए कार्यक्रम में प्रतिभावान विद्यार्थियों और शिक्षकों का सम्मान किया गया।
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