फतेहपुर,रामगढ़ और लक्ष्मणगढ़ के 283 गांवों के लोगों को अभी मीठे पानी के लिए एक साल और इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि निर्माण करने वाली एजेंसी धीमी रफ्तार से काम कर रही है। जलदाय विभाग का कहना है कि इसी वजह से काम कर रही तीन एजेंसी पर नौ करोड़ 66 लाख रुपए का पैनल्टी लगाई। अब तक इन तीनों एजेंसी पर 45 करोड़ का जुर्माना लगा दिया है।
इस कवायद के बीच सवाल यह है कि क्या पैनल्टी की राशि फिर घटिया निर्माण के तौर पर सामने आएगी। क्योंकि पिछले घटिया सामग्री निर्माण में काम लेने का मामला सामने आने के बाद करीब आधा दर्जन उच्च जलाशय तोड़े थे। गौरतलब है कि जलदाय विभाग की गाइड लाइन के अनुसार प्रोजेक्ट का काम जून 2016 में पूरा होना था। प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनियों ने काम को अंतिम स्टेज पर पहुंचने के बाद ढिलाई बरती। इससे पेयजल सप्लाई मार्च 2017 तक शुरू हो सकेगी।
2013 में घन्नासर से नहरी पानी लाने की प्रक्रिया शुरू हुई। योजना में पाइप लाइन एवं टंकी निर्माण सहित प्रोजेक्ट के सभी कार्य 2016 तक पूरे किए जाने थे। पीएचईडी के अधिकारी दावा कर रहे थे कि रोलसाहबसर में अतिक्रमण हटाया तो जून 2016 तक प्रोजेक्ट से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। रोलसाहबसर में अतिक्रमण हटाने के बाद पाइप लाइन डालने का काम भी पूरा हो चुका है। लेकिन अब तक लोगों को मीठा पानी नहीं मिला।
बड़ीपैनल्टी लगाने के बाद अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अब फिर साढ़े नौ करोड़ की पैनल्टी लगाने के बाद प्रोजेक्ट पर असर होगा? क्या निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग होगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पहले फर्जीवाड़ा सामने चुका है। विधायक लक्ष्मणगढ़ ने विधानसभा में मामला उठाया तो फर्जीवाड़ा सामने आया था। टंकियों के निर्माण में अमानक सीमेंट और कंक्रीट का उपयोग हुआ था जिसके बाद निर्माण कार्य रोका और तोड़ा गया।
इस कवायद के बीच सवाल यह है कि क्या पैनल्टी की राशि फिर घटिया निर्माण के तौर पर सामने आएगी। क्योंकि पिछले घटिया सामग्री निर्माण में काम लेने का मामला सामने आने के बाद करीब आधा दर्जन उच्च जलाशय तोड़े थे। गौरतलब है कि जलदाय विभाग की गाइड लाइन के अनुसार प्रोजेक्ट का काम जून 2016 में पूरा होना था। प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनियों ने काम को अंतिम स्टेज पर पहुंचने के बाद ढिलाई बरती। इससे पेयजल सप्लाई मार्च 2017 तक शुरू हो सकेगी।
2013 में घन्नासर से नहरी पानी लाने की प्रक्रिया शुरू हुई। योजना में पाइप लाइन एवं टंकी निर्माण सहित प्रोजेक्ट के सभी कार्य 2016 तक पूरे किए जाने थे। पीएचईडी के अधिकारी दावा कर रहे थे कि रोलसाहबसर में अतिक्रमण हटाया तो जून 2016 तक प्रोजेक्ट से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। रोलसाहबसर में अतिक्रमण हटाने के बाद पाइप लाइन डालने का काम भी पूरा हो चुका है। लेकिन अब तक लोगों को मीठा पानी नहीं मिला।
बड़ीपैनल्टी लगाने के बाद अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अब फिर साढ़े नौ करोड़ की पैनल्टी लगाने के बाद प्रोजेक्ट पर असर होगा? क्या निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग होगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पहले फर्जीवाड़ा सामने चुका है। विधायक लक्ष्मणगढ़ ने विधानसभा में मामला उठाया तो फर्जीवाड़ा सामने आया था। टंकियों के निर्माण में अमानक सीमेंट और कंक्रीट का उपयोग हुआ था जिसके बाद निर्माण कार्य रोका और तोड़ा गया।
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