Wednesday, December 16, 2015

फतेहपुर की विरासत बचाने को कोलकाता के युवकों की पदयात्रा

 कोलकाता के तीन युवा फोटोग्राफरों ने शेखावाटी की पुरा संपदा को बचाने के लिए बुधवार को कस्बे की ऐतिहासिक नवाबी बावड़ी से पदयात्रा शुरू की। पदयात्रा करने वाले सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि वे अपने साथी कोलकाता निवासी आकाशदास और अमनसिल के साथ अजमेर तक पदयात्रा करेंगे। एसडीएम पुष्करराज शर्मा और तहसीलदार एमसी लूणियां ने तीनों पदयात्रियों को नवाबी बावड़ी से रवाना किया।
सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि उनकी यात्रा 27 दिसंबर को अजमेर मे समाप्त होगी। इस दौरान वे नवलगढ़, मंडावा व 
रामगढ़ शेखावाटी सहित अनेक स्थानों पर जाएंगे। अग्रवाल ने बताया कि उनका उद्देश्य शेखावाटी की ऐतिहासिक विरासत 
को बचाना है। वे यहां की पुरासंपदाओं पर डोक्यूमेंट्री बनाएंगे। उन्होंने कहा कि वे शेखावाटी की अनमोल विरासत को राष्ट्रीय 
और अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते हैं। यहां की अनमोल विरासत को अभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर उचित
 स्थान नहीं मिला है।
सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि वे पिछले वर्ष भी यहां आए थे। एक साल में हालात पहले से बदतर नजर आए। विशालकाय 
हवेलियों की संख्या में कमी आई। अनेक ऐतिहासिक विरासतें, फ्रेस्को पेंटिंग्स नष्ट हो गए। इसका प्रमुख कारण स्थानीय लोगों 
की अपनी विरासत के प्रति उपेक्षा और सरकारी उदासीनता है। सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि वे कोलकाता में वेदांतम नाम 
से मास कम्युनिकेशन चलाते हैं और डिजिटल नेचर के नाम से फिल्म प्रोडक्शन कंपनी चलाते हैं। साथ ही सामाजिक मुद्दों से 
जुड़े पहलुओं पर डॉक्यूमेंट्री बनाते हैं। उन्होंने बताया कि वे देश की बाल श्रमिक समस्या, गांवों की स्कूलों में मदद करने, नन्हे 
बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए कोलकाता से मुंबई तक साइकिल यात्रा भी कर चुके हैं और इस यात्रा के दौरान 
इकट्ठा धनराशि से उन्होंने स्कूलों की मदद की थी।सिद्धार्थ अग्रवाल ने अपनी पदयात्रा की शुरुआत कस्बे की ऐतिहासिक बावड़ी से ही क्यों शुरू की। इस पर उन्होंने बताया कि वे मंगलवार शाम को मंडावा से यहां आए और रात्रि विश्राम के लिए रुके तो जनचर्चा से यह बात उनके सामने आई कि यहां के लोग बिना किसी सरकारी सहायता या पहल के 400 वर्ष पुरानी


बावड़ी को सुधारने में लगे हैं और आम आदमी श्रमदान कर रहा है। यह उन्हें सुखद लगा और अपनी विरासत बचाने के लिए आम आदमी का सकारात्मक कदम भी। इसलिए उन्होंने सोच लिया कि वे अपनी पदयात्रा की शुरुआत इसी बावड़ी से करेंगे।
उन्होंने करीब दो घंटे तक बावड़ी में फिल्मांकन किया तथा खतरा मोल लेते हुए बावड़ी के तीसरे अंडरग्राउंड तल पर जाकर अवलोकन किया। अपनी डॉक्यूमेंट्री का फिल्मांकन भी किया। बावड़ी पर श्रमदान कर रहे लोगों ने भी युवाओं के साहस की सराहना की। वे रेंगकर एक छेद से तीसरे अंडरग्राउंड तल पर गए जो बेहद सीलनभरा, अंधेरायुक्त तथा कॉकरोच, चमगादड़ों से भरा था।


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