Friday, September 3, 2010

दरगाह में जन्माष्टमी मेला परवान पर




सदा से साम्प्रदायिक एकता की मिसाल माने जाने वाले शेखावाटी अंचल के चिडावा में हर साल नरहड़ स्थित सूफी संत हजरत शकरबार शाह की दरगाह में जन्माष्टमी का मेला भरता है. हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एकता का प्रतीक: करीब 750 वर्ष पुरानी हजरत शकरबार शाह की नरहड़ स्थित दरगाह में हर वर्ष लगने वाला जन्माष्टमी मेला हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एकता का जीता जागता प्रमाण है।  मराठी माणसां ची मुंबई के इस दौर में राजस्थान के छोटे से कस्बे  का यह  आयोजन  अपने आप को सभ्य और शहरी कहने वालों के मुंह पर करारे  तमाचे की तरह  है.  दरगाह खादिम हाजी अजीज खान पठान बताते हैं कि जैसा जलसा बाबा के सालाना उर्स में होता है ठीक वैसा ही उत्सव जन्माष्टमी मेले में रहता है। जन्माष्टमी मेले में देश के सभी  राज्यों में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी हिंदू धर्मावलंबी विवाह की जात और पुत्र जन्मोत्सव पर जड़ूले की रस्म अदायगी के लिए नरहड़ आते हैं
दरगाह में गुरुवार को जन्माष्टमी मेला परवान पर रहा। धर्म-मजहब को मानने वाले जायरीनों-जातरूओं ने पूरी शिद्दत से दरगाह की चौखट चूमकर बाबा की मजार पर अकीदत के फूल और मन्नत की चादरें चढ़ाई। जन्माष्टमी पर्व पर हजरत शकरबार शाह की दरगाह में सालाना उर्स की माफिक उत्सवी माहौल सांप्रदायिक सद्भाव और कौमी एकता की मिसाल को और गाढ़ा करता नजर आया। जिसमें छप्पन प्रकार के व्यंजनों, मिष्ठानों, फ्रूट-ड्राई फ्रूट की शिरनियां सजाई गई। कव्वाल सलीम राजा दिलावर एंड पार्टी ने कव्वालियों से बाबा का दरबार सजाया। इंतजामिया कमेटी के सदर अब्दुल लतीफ पठान ने बताया कि जन्माष्टमी मेले पर नरहड़ आने वाले हिंदू धर्मावलंबी जातरूओं की सुविधार्थ विशेष इंतजामात किए गए। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय मेले का समापन शुक्रवार दोपहर जुम्मे की नमाज के साथ होगा।

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