विश्व पर्यटन दिवस से ठीक एक दिन पहले रविवार को सीकर में चांदपोल गेट के पास स्थित पुरावैभव की मिसाल रही बुर्ज की बलि दे दी गई। शहर में 11 बुर्ज में से छह पहले ही तोड़े जा चुके हैं। बुर्ज से सटे मकान के मालिक गिरजाशंकर जालान ने बताया कि राव राजा द्वारा यह बुर्ज उनके पूर्वजों को सौंपा गया था। तब से उनका परिवार बुर्ज की सार-संभाल कर रहा है। शनिवार को नगर परिषद की ओर से इस बुर्ज को तोड़ने के संबंध में एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में जनहित में यातायात व्यवस्था के लिए इस बुर्ज को तोड़े जाने का हवाला देते हुए २४ घंटे में इससे कब्जा हटाने के लिए कहा गया था। रविवार सुबह करीब सात बजे नगर परिषद के दस्ते ने जेसीबी मशीन से इस बुर्ज को तोड़ना शुरू कर दिया। दोपहर तक बुर्ज को तोड़ दिया गया।
राव राजा भैरोंसिंह के शासन में विक्रम संवत् 1907 से 1923 के बीच शहर में तीन दरवाजों (चांदपोल, सूरजपोल व नया दूजोद गेट) का निर्माण करवाया गया था। इसके साथ ही दो बुर्ज बनाए गए थे। बुर्ज में गोला-बारूद रखते थे। बुर्ज से सैनिक तोप के साथ निगरानी किया करते थे। शहर के परकोटे से 11 बुर्ज लगते थे। शहर में नानीगेट, बाबुजी की हवेली, दीनदयाल की हवेली व दीवान मार्केट का ही बुर्ज निशानी बतौर बचा है | शहर पहले एक परकोटे के भीतर था। सुरक्षा की दृष्टि से परकोटे के चारों तरफ बुर्ज बनाए गए थे, जहां चौकीदार पहरा देते थे। धीरे-धीरे शहर का परकोटे से बाहर विस्तार होता गया, लेकिन ये बुर्ज आज भी अपने पुरावैभव की दास्तां बयां कर रहे हैं।
नगर परिषद के अमले ने रविवार सुबह चांदपोल के पास कारीगरों के मोहल्ले में स्थित 150 साल पुराने ऐतिहासिक बुर्ज को ढहा दिया। इस धरोहर को तोड़ने के पीछे नगर परिषद प्रशासन यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए रास्ता चौड़ा करने का तर्क दे रहा है। इधर, नगर परिषद आयुक्त मदनकुमार शर्मा का कहना है कि यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए इस रास्ते को चौड़ा किया जा रहा है। बुर्ज बीच में आ रहा था, इसलिए इसे तोड़ा गया है।
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