संतों और पीरों की शेखावाटी धरा सदा से हिन्दू मुस्लिम एकता व सौहार्द्र की प्रतीक रही है | बात चाहे त्यौहारों की करें या फिर आस्था केन्द्रों की, गंगा - जमुनी संस्कृति यहाँ कायम रही है | ईद व दीवाली में एक दुसरे को बढ़ाई देने की होड़ लगी रहती है तो आस्था केन्द्रों में भी सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल है | यहाँ के चप्पे चप्पे पर अपनायत की इबादत लिखी है | मानवता यहाँ का सबसे बड़ा धर्म और सेवा सबसे बड़ी बंदगी है | हर धर्म के अनुयायी यहाँ पानी में घुले रंगों की मानिंद एक दुसरे से मिले हैं | इसका धरती का जर्रा जर्रा अपने आप में बेमिसाल है | झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे में स्थित नरहड़ दरगाह में प्रति वर्ष जन्माष्टमी पर लगने वाले उर्स के मेले में हिन्दुओं की संख्या मुसलामानों से अधिक रहती है | अस्थामय सालासर धाम का निर्माण भी मुस्लिम कारीगरों के हाथों से हुआ है | सौहार्द्र और विश्वास की यह अनूठी डोर राव शेखाजी के समय से ही चली आ रही है जिसका निर्वहन अभी भी बदस्तूर हो रहा है | ऐसे ही कुछ तथ्य पाठकों के अवलोकनार्थ प्रस्तुत है -
- विश्व प्रशिद्ध खाटू श्याम मंदिर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं क़ि मंदिर से मात्र 75 मीटर की दूरी पर शाह आलमगीर मस्जिद और शिव मंदिर एक ही दीवार से सटे हैं | दोनों स्थलों पर धर्मावलम्बी सद्भाव के साथ अराधना और इबादत करते हैं | चाहे ईद का मौक़ा हो या महाशिवरात्रि जैसा पर्व, सभी आयोजनों में हिन्दू और मुस्लिम एक साथ कंधे से कंधा मिला कर शरीक होते हैं |
- सीकर के दूजोद गेट के पास स्थित श्याम मंदिर में असगर चौहान पिछले 11 सालों से भक्तों की सेवा कर रहे हैं | खाटू पदयात्रा में जाने वाले यात्रियों में शायद ही कोई ऐसा होगा जो उन्हें शक्ल से ना जानता हो |
- झुंझुनू के काना पहाड़ की तलहटी में स्थित हजरत कमरुद्दीन शाह की दरगाह मजहबी भाई चारे की अनूठी मिसाल है | यहाँ फरवरी में लगने वाले उर्स में सभी धर्मों के लोग शिरकत करते हैं |
- चूरू के साहवा के गुरुद्वारे में सभी धर्मों के लोग भेद भाव भुलाकर लाखों की तादाद में एकत्रित होकर मत्था टेकते हैं |
- सीकर में नजीर खान चौहान ऩे 40 सालों तक सीकर सांस्कृतिक मंडल के कार्यकर्ता के रूप में रामलीला के मंचन सहित अन्य हिन्दू पर्वों पर होने वाले आयोजनों की कमान संभाली और उन्हें बखूबी सफल बनाया है |
- नवलगढ़ के रामदेव जी के मंदिर में हिन्दू रामसा कहकर पूजा करते हैं तो मुस्लिम पीर के नाम से मनौतियाँ मांगते हैं | यहाँ हर साल करीब पाँच लाख श्रुद्धालु शीश झुकाते हैं |
- चिडावा के पास नरहड़ की दरगाह में जन्माष्टमी पर लगने वाला मेला हिन्दू मुस्लिम एकता का जीवंत प्रमाण है |
- खाटू में बाबा श्याम का रथ पिछले चालीस सालों से खुदाबक्स खां तेली सजा रहे हैं | 82 वर्षीय खुदाबक्स रथयात्रा के लिए ख़ास अलीगढ़ से मुस्लिम कारीगर बुलाकर अपनी देख रेख में रथ तैयार कराते हैं |
बहुत ही खूबसूरत सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारी से भरा लेख! शुक्रिया और शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपका ये ब्लॉग देख कर बहुत खुशी का अहसास हुआ है | शेखावाटी भी बलोगिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है यह भी एक सुखद अहसास है | ब्लॉग आपने बहुत ही ख़ूबसूरत बनाया है | यंहा शायद मै पहले भी एक बार आया हूँ लेकिन तब इस पर एक भी पोस्ट नहीं थी | सीकर के अन्य ब्लोग्गर है डॉ. मिहिर धाबाई ,रतन सिंह शेखावत,ताऊ रामपुरिया ,हरी राम जी वगैरा |
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