आधा सावन गुजरने के बाद भी बारिश को तरसाते मेघा अब आम आदमी की आँखों से आंसू निकलाने की तैयारी कर रहे है । अगर अब भी बरसात ने जोर नहीं दिखाया तो आने वाले दिन निश्चित ही आम आदमी को रोने पर मजबूर कर देंगे । देश में
सभी खाद्यान्न की कीमतों पर मानसून के देरी व जल्दी का सीधा प्रभाव पड़ता
है। वर्षा के आधार पर फसलों के उत्पादन का अनुमान लगाया जाता है। ऎसा माना
जा रहा है कि इस वर्ष मानसून की देरी ने गेहूं, दलहन व तिलहन का उत्पादन
प्रभावित कर दिया है।
मानसून के इस धोखे ने उन कृषि जिंसों के उत्पादन को भी प्रभावित कर
दिया है जो रोजमर्रा के खाने मे इस्तेमाल किए जाते हैं। प्रदेश समेत जिले
की विभिन्न मंडियों में दलहन के भाव तो अभी से ही आसमान पर पहुंच चुके हैं,
तिलहन और चीनी ने भी आंख दिखा दी है। मूंग के दाम एक हफ्ते में ही 10 रूपए
किलो तक उछल चुके हैं। यहीं हाल उड़द, मोठ, चना और चौला का भी हो
रहा है। सरसों सीड में तेजी के कारण पिछले एक सप्ताह में ही मूंगफली तेल के
भाव 10 रूपए, सोयाबीन तेल के भाव 15 रूपए और सरसों तेल के भाव 7 रूपए
प्रति किलो तक चढ़ चुके हैं। मानसून की देरी ने मिठास ने भी कड़वाहट घोल दी
है। जुलाई माह में ही इसके भाव 6 रूपए प्रति किलोग्राम तक चढ़ चुके हैं। पिछले एक सप्ताह में
ही खाद्य तेल के भाव 10 रूपए प्रति किलो तक उछल चुके हैं। पिछले साल
किसानों को सोयाबीन के अच्छे दाम मिले थे, लेकिन इस बार ऎसा नहीं है। मंडी
कारोबारियों की मानें तो दस दिन में मानसून का रंग नहीं दिखने पर भावों में
और तेजी का सामना करना पड़ेगा।
No comments:
Post a Comment