सावन में एक दिन शेष रह गया, लेकिन मानसूनी बदरा पूरी तरह से रूठे हुए हैं।
हालत यह है कि पिछले वर्ष एक जून तक जिले में 113 मिमी से अधिक औसत बरसात
हो चुकी थी, वहीं इस वर्ष आसमां से सिर्फ अंगारे ही बरस रहे हैं। नतीजन
समूचा अंचल लोहार की भट्टी की तरह धधक रहा है। खेत सूने हैं और निगाहें
आसमान पर टिकी हुई हैं। जानकारों के अनुसार बरसों बाद जुलाई में भीषण गर्मी
पड़ी है।
इस समय तक मानसून का एक चक्र पूरा हो जाता था और 30
फीसदी से अधिक बुवाई हो जाती है। अंचल में रविवार को भीषण गर्मी पड़ी। दिन
में लू चलने से लोग गर्मी से बेहाल होकर पस्त हो गए। भीषण व प्रचंड गर्मी
को देखते हुए लोगों की आस अब मानसून से ही राहत मिलेगी। रविवार
को अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस को पार गया। भीषण गर्मी के चलते दोपहर
में सडकों पर अघोषित कर्फ्यू लगा रहता है।
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