संतों की मौजूदगी में गुरुवार को श्रीबुधगिरी मढ़ी की नवनिर्माण परियोजना का शुभारंभ हुआ। संतों के मुख से अनमोल वचनों को सुनने के लिए राज्यभर से श्रद्धालु जुटे थे। मुख्य वक्ता भारत विकास संगम के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक गोविंदाचार्य ने कहा कि आज भी भारत विश्व में नंबर एक है। इस देश की महानता का यह सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज चीन में कहा जाता है कि यदि इस जन्म में अच्छे कार्य करोंगे तो अगला जन्म भारत में मिलेगा। भारत में रामराज्य की स्थापना सिर्फ राम का नाम लेने से नहीं हो सकती, हमें राम के आदर्शों पर चलना होगा। नारी अधिकारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में नारी को बांटा नहीं गया है, बल्कि इस देश की संस्कृति रही है कि सीता बिना राम, राधा बिन कृष्ण अधूरे हैं तो शक्ति बिना शिव, शव के समान है। भारत भूमि की प्रशंसा करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि हिमालय विश्व में अद्भुत है, नदियां अद्भुत है क्योंकि गंगा ज्ञान की, यमुना प्रेम की, नर्मदा वैराग्य की प्रतीक है। समृद्धि और संस्कृति के संतुलन का नाम ही भारत है।
इससे पहले पथमेड़ा गोशाला के मुख्य संरक्षक संत दत्तशरणानंद, श्रीलालेश्वर महादेव मंदिर बीकानेर के अधिष्ठाता संत सोमगिरिजी, संत राघवाचार्य महाराज व पूर्व शिक्षामंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने मढ़ी के प्रस्तावित माडल का अनावरण किया। संतों ने बुधगिरी महाराज के जीवन चरित्र को दर्शाने वाली पुस्तक बुधगिरी महिमा का विमोचन भी किया। पीठाधीश्वर महंत दिनेशगिरि ने मढ़ी के नवनिर्माण की आवश्यकताओं और कार्ययोजना के बारे में बताते हुए कहा कि संत शिरोमणी बाबा बुधगिरिजी और गोमाता के आर्शीवाद से मढ़ी का नवनिर्माण हो रहा है। विश्व की सबसे बड़ी गोशाला पथमेडा के प्रधान संरक्षक संत दत्तशरणानंद ने कहा कि गोसेवा में ही सबका हित निहित है, क्योंकि गाय चलता-फिरता परमात्मा है और वह परमात्मा द्वारा निर्मित वेदतत्व है। पुराने जमाने में मारवाडिय़ों के घर में गाय की पूजा होती थी और उसे वे अपने व्यापार में साझेदार भी बनाते थे लेकिन समय के साथ यह सब लोप हो गया। संत सोमगिरिजी ने कहा कि ईश्वर कही नहीं है, यदि है तो मनुष्य के भीतर है। आज का मनुष्य खुद दुखी है क्योंकि उसकी सोच में विकृति है, विकार है। हमें सदाचार लाना है तो हर व्यक्ति को संत बनना पड़ेगा। कार्यक्रम में संतों ने गोमाता की पूजा-अर्चना भी की।
संतों ने विक्रम शर्मा द्वारा बनाई बुधगिरिजी वेबसाइट के अलावा श्रीबुधगिरिजी महिमा, रमाकांत शर्मा कृत हिगंलाज चालीसा और औंकारसिंह लखावत की हिगंलाज शक्तिपीठ का विमोचन किया। संत सोमगिरीजी ने कहा कि वेबसाइट एड्रेस ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू’ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और तीनों डब्ल्यू का अर्थ विजडम, वरशिप और वर्क है जिसका वर्णन हमारे धर्मग्रंथों में वर्षों पूर्व किया जा चुका है।
संत दत्तशरणानंद, संत सोमगिरि व संत गुलाबयतिजी सहित सभी संतों ने महंत दिनेशगिरिजी की गोभक्ति की भूरिभूरि प्रशंसा की। सभी ने एक स्वर में कहा कि अल्पायु में महंत दिनेशगिरिजी आज देश के सभी प्रमुख संत-महात्माओं के प्रिय बने हंै तो वे सिर्फ गोभक्ति के कारण। महंत दिनेशगिरिजी ने कहा कि वे कोई बड़े संत नहीं, साधक नहीं, तपस्वी नहीं बल्कि साधारण मानव है और आज वे जो कुछ हैं सिर्फ गोसेवा के निमित हैं।
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