फतेहपुर के 62 वर्षीय परसाराम बिजारणियां अंग्रेजी और पाॅलिटिकल साइंस के टीचर थे। लेकिन रुचि फिजिकल ट्रेनिंग में भी थी। इस रुचि के कारण अपनी जॉब के दौरान पढ़ाई के अलावा खेल से भी जुड़े। वे अब तक वाॅलीबॉल के 240 खिलाड़ी तैयार कर चुके हैं। इनमें से 40 नेशनल और 200 स्टेट लेवल के खिलाड़ी हैं। वाॅलीबॉल की ट्रेनिंग के दौरान ये खिलाड़ियों को मैथ्स, रीजनिंग और अंग्रेजी भी पढ़ाते हैं। साथ ही लगभग 100 युवा तो आर्मी ज्वाइन कर चुके हैं। परसाराम ने रिटायर होने के बाद भी वॉलीबॉल सिखाना नहीं छोड़ा। अब वे दो सरकारी स्कूलों में रोजाना 3-4 घंटे वॉलीबॉल सिखाते हैं। इसके बाद एक घंटे पढ़ाते हैं।
परसाराम का वॉलीबॉल सिखाने का यह सिलसिला पिछले 30 साल से जारी है। वे जिस स्कूल में पोस्टेड रहे, वहां पढ़ाई के
साथ खेल की ट्रेनिंग भी दी। हर साल सात से आठ खिलाड़ी अलग-अलग प्रतियोगिताओं में स्टेट टीम में शामिल करवाए। वे
रोज स्कूल समय से तीन घंटे पहले पहुंचते और छुट्टी के तीन घंटे बाद वापस आते हैं। इस दौरान केवल वॉलीबॉल ही नहीं
बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास भी ली। खिलाड़ियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवाई। रिटायर होने के बाद सुबह डेढ़
घंटे व शाम को ढाई घंटे परसाराम खुद गाड़ी लेकर स्कूल में जाते हैं। सुबह केवल वॉलीबॉल की कोचिंग देते हैं। शाम को एक
घंटा खेल की ट्रेनिंग देने के बाद पढ़ाई का समय शुरू होता है। वो खुद इंग्लिश पढ़ाते हैं। मैथ्स व रीजनिंग की तैयारी के लिए
उन शिष्यों को बुलाते हैं जो अध्यापक बन चुके हैं। इनको खुद ही पढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।उनके पास दूसरे गांव के
खिलाड़ी ट्रेनिंग लेने आते हैं। परसाराम ही इनके रुकने की व्यवस्था करवाते हैं। परसाराम कहते हैं, ‘खेल में रुचि ने ही शारीरिक शिक्षक बना दिया। पढ़ाने में भी कभी कसर नहीं छोड़ी। कभी क्लास मिस नहीं की और जो बच्चे पढ़ना चाहते थे उनकी एक्स्ट्रा क्लास भी लगाई।
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