शरद पूर्णिमा उत्सव पर मंदिरों में दो दिन धार्मिक कार्यक्रम होंगे। श्रीसालासर बालाजी, संकट मोचन बालाजी मंदिर में सोमवार शाम पांच बजे मेला लगेगा। शाम सवा सात बजे महाआरती होगी। इसके बाद जागरण होगा। चित्तौड़गढ़ के विजयपुर कस्बे में शरद महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इसके अलावा कई जगह इस रात कालबेलिया नृत्य का विशेष आयोजन किया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि इस रात चांद की रोशनी में दूध की शक्ति बढ़ जाती है, इसलिए इस रात लोग दूध से बनी चीजें अपने घरों की छतों पर बैठकर खाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस रात को चांद से अमृत वर्षा होती है और चांदनी खीर औषधियुक्त हो जाती है, जो अस्थमा रोग खत्म करने में सहायक मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा पर राजस्थान की छटा देखते ही बनती है। यहां के महलों और ऐतिहासिक विरासत चांदनी रोशनी में बिना बिजली के चमकती सी नजर आती हैं। इससे ही प्रेरित होकर राज्य सरकार ने नाइट टूरिज्म की शुरुआत की है। शरद पूर्णिमा पर राज्य में कई जगह मेले और महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।
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