फतेहपुर के राकेश सैनी युवा जोश का बड़ा उदाहरण हैं। वे सीख हैं उन युवाओं के लिए, जो सपने पूरा करना चाहते हैं। राकेश 2005 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। उन्होंने तैयारी की और पहले चांस में ही सफल होकर लेफ्टिनेंट बन गए। राकेश बताते हैं कि आर्मी में अफसर बनने के लिए इंटर एग्जाम होते हैं। इसमें पैटर्न एनडीए जैसा ही होता है। मेरा मकसद युवाओं को बताना है कि वे सामान्य सैनिक बनने के बाद भी परीक्षा देकर अफसर बन सकते हैं। इसके लिए प्रमोशन का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। कमीशन पाने के बाद राकेश फिलहाल दिल्ली में तैनात हैं। राकेश के पिता का 2004 में देहांत हो गया था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पांच भाई-बहनों को संभालते हुए पढ़ाई जारी रखी। साथ में सेना में जाने के लिए तैयारी करता रहा। बीकॉम फ़र्स्ट ईयर के दौरान ही सेना में भर्ती हो गया। वहीं बीकॉम की। सेना में अफसरों से बातचीत से लगा कि वह भी ऑफिसर बन सकता है। बस ही इसी जज्बे से सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने इरादा पक्का कर लिया और सपने को हकीकत में बदलने के लिए तैयारी में जुट गया। आखिर राकेश की मेहनत रंग लाई और उसे वह मुकाम मिल गया, जिसके लिए उसने रात दिन एक किया था।
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