होली नजदीक आते आते पूरा कस्बा फागुनी रंग की बयार में रंगा नजर आने लगा है । ढप सम्मलेन और रंगारंग कार्यक्रमों की बहुतायत के बीच शाम ढलते ही फागुनी गीत और मल्हार की स्वर लहरियाँ चहुँ और सुनायी देने लगती है । मौसम के सुहावनेपन के चलते फागुन के रसियों का मजा दुगुना हो गया है । पारंपरिक गीन्दड़ नृत्य के आयोजनों की भरमार भी फागुन की मस्ती को और सर चढ़ा रही है ।
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