राजकीयउच्च माध्यमिक विद्यालय ढांढण में तीन साल पहले महज 325 छात्र थे और
औसत रिजल्ट 80 और 90 प्रतिशत के बीच था। 2011 में आए प्रिंसिपल के प्रयोग
से स्कूल ने नया मुकाम हासिल किया। अब छात्रों की संख्या 1150 हो गई है।
सरकार ने टीचर नहीं लगाए तो संविदा पर अध्यापक लगा लिए। बच्चों के लिए
प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर वाहन लगा रखे हैं। इसका नतीजा यह है कि
साइंस-आटर्स का रिजल्ट 100 प्रतिशत पहुंच गया है।
ग्रामीणका श्रेय प्रिंसिपल भागीरथ मल महिचा को देते हैं। रविवार को उनके लिए रखे शिक्षक सम्मान समारोह में उपहारों की बौछार हो गई। प्रिंसिपल को अल्टो कार और तीन साल को ईधन और रिपेयरिंग खर्चा दिया जाएगा। 22 शिक्षकों को 40 ग्राम चांदी के मैडल सम्मान के तौर पर दिए गए। गांव के सरपंच सरपंच जगदीश प्रसाद शर्मा बताते हैं, स्कूल की पहचान बरसों पुरानी है। लेकिन, तीन साल पहले आए प्रिंसिपल भागीरथ मल महिचा ने कुछ नए प्रयोग किए तो शिक्षा का स्तर बढ़ गया। यह बदलाव रात्रिकालीन क्लास, सरकारी स्कूल में हॉस्टल जैसी सुविधाओं से मुमकिन हो सका है।
इसस्कूल में रात्रिकालीन क्लास लगाई जाती हैं। सरकारी स्कूल होने के बावजूद हॉस्टल की सुविधा है, जिसमें सिर्फ डाइट शुल्क लिया जाता है। राज्य सरकार की पॉलिसी के कारण स्कूल में शिक्षकों की कमी है। बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसलिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर छह शिक्षक संविदा पर लगा रखे हैं। इन्हें हर साल सात लाख रुपए का वेतन ग्रामीण और ढांढण डवलपमेंट ट्रस्ट की ओर से दिया जाता है। चार साल से स्कूल का रिजल्ट बेहतरीन है। ग्रामीणों ने आसपास के गांवों से बच्चों को लाने के लिए जीप, ऑटो रिक्शा का इंतजाम किया हुआ है।
ग्रामीणका श्रेय प्रिंसिपल भागीरथ मल महिचा को देते हैं। रविवार को उनके लिए रखे शिक्षक सम्मान समारोह में उपहारों की बौछार हो गई। प्रिंसिपल को अल्टो कार और तीन साल को ईधन और रिपेयरिंग खर्चा दिया जाएगा। 22 शिक्षकों को 40 ग्राम चांदी के मैडल सम्मान के तौर पर दिए गए। गांव के सरपंच सरपंच जगदीश प्रसाद शर्मा बताते हैं, स्कूल की पहचान बरसों पुरानी है। लेकिन, तीन साल पहले आए प्रिंसिपल भागीरथ मल महिचा ने कुछ नए प्रयोग किए तो शिक्षा का स्तर बढ़ गया। यह बदलाव रात्रिकालीन क्लास, सरकारी स्कूल में हॉस्टल जैसी सुविधाओं से मुमकिन हो सका है।
इसस्कूल में रात्रिकालीन क्लास लगाई जाती हैं। सरकारी स्कूल होने के बावजूद हॉस्टल की सुविधा है, जिसमें सिर्फ डाइट शुल्क लिया जाता है। राज्य सरकार की पॉलिसी के कारण स्कूल में शिक्षकों की कमी है। बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसलिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर छह शिक्षक संविदा पर लगा रखे हैं। इन्हें हर साल सात लाख रुपए का वेतन ग्रामीण और ढांढण डवलपमेंट ट्रस्ट की ओर से दिया जाता है। चार साल से स्कूल का रिजल्ट बेहतरीन है। ग्रामीणों ने आसपास के गांवों से बच्चों को लाने के लिए जीप, ऑटो रिक्शा का इंतजाम किया हुआ है।
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