ग्रामीणइलाकों में स्थित पशु चिकित्सालयों में कार्मिकों का नहीं आना, दवा नहीं मिलना पशुपालकों के लिए बड़ी परेशानी बन गया है।
गांव किशनपुरा स्थित पशु उपस्वास्थ्य केंद्र छह महीने से नहीं खुल रहा है। यहां पहले नियुक्त कंपाउंडर की सेवानिवृत्ति के बाद से यह बंद है। ग्रामीण राजेंद्र ने बताया कि ग्रामीणों को सुलखनिया से निजी चिकित्सक से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है। पशु उपस्वास्थ्य केंद्र कारंगा मेंं नियुक्त कार्मिक सप्ताह में एक या दो दिन ही आता है। दांतरू स्थित पशु चिकित्सालय भी मात्र औपचारिकता ही पूरी कर रहा है। पशु चिकित्सालय बंद रहने से सरकार द्वारा संचालित निशुल्क दवा योजना, पशु बीमा योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। उन्हें मजबूरन निजी चिकित्सकों से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है।
गांव किशनपुरा स्थित पशु उपस्वास्थ्य केंद्र छह महीने से नहीं खुल रहा है। यहां पहले नियुक्त कंपाउंडर की सेवानिवृत्ति के बाद से यह बंद है। ग्रामीण राजेंद्र ने बताया कि ग्रामीणों को सुलखनिया से निजी चिकित्सक से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है। पशु उपस्वास्थ्य केंद्र कारंगा मेंं नियुक्त कार्मिक सप्ताह में एक या दो दिन ही आता है। दांतरू स्थित पशु चिकित्सालय भी मात्र औपचारिकता ही पूरी कर रहा है। पशु चिकित्सालय बंद रहने से सरकार द्वारा संचालित निशुल्क दवा योजना, पशु बीमा योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। उन्हें मजबूरन निजी चिकित्सकों से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है।
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