श्री नाथ आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में साध्वी चित्रलेखा ने भक्तो को प्रवचन दिए और बताया कि ईश्वर
प्राप्ति के लिए आवश्यक नहीं है कि साधु बना जाए, आश्रम में रहे या गृहस्थ
कर्म करते हुए भी साधना करने से ईश्वर मिल सकता है और मनुष्य का परलोक सुधर
सकता है। उन्होंने कहा कि संत कोई व्यक्ति नहीं होता
बल्कि संत एक बोध है, अवस्था है, प्रकृति है। उन्होंने आश्रम में
पीठाधीश्वर महंत परमेश्वर नाथ से आशीर्वाद लिया और आश्रम के बारें में
जानकारी प्राप्त की। संत निश्चल नाथ,नपाध्यक्ष मधु भिण्डा ने साध्वी का
सम्मान किया। इस अवसर पर संत ओमयति का भी
सम्मान किया गया।
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