पूर्वविधायक
भंवरू खां को सोमवार हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। सुबह
उनके पार्थिव शरीर काे अंतिम दर्शन के लिए उनके रोलसाबसर स्थित निवास पर
रखा गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दुर्रुमियां, यातायात मंत्री युनूस
खां सहित अनेकों जनप्रतनिधियों ने मरहूम विधायक के भाई हाकम खां, पुत्र
याकूब खां आदि को सांत्वना दी। दोपहर दो बजे उनके पार्थिव शरीर को सुपुर्द
खाक के लिए कब्रिस्तान ले जाया गया। अनेक सरपंच, पार्षद, जिप एवं पंस सदस्य, राजकीय अधिकारी
सहित अनेक जनप्रतिनिधी पूर्व विधायक भवरूं खां के अंतिम संस्कार में शामिल
हुए।
भंवरूखां ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रोलसाहबसर गांव से की थी। गांव का सरपंच बनने के बाद उन्होंने विधायक का चुनाव लड़ा। पहला ही चुनाव जीत गए। उस वक्त 36 साल उम्र थी। उनकी नजदीकियां पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला से ज्यादा रही, फतेहपुर के भाजपा से पूर्व विधायक बनवारीलाल भिंडा बताते हैं, मैं और भंवरू खां अलग-अलग पार्टियों से थे। आमने-सामने चुनाव भी लड़े, लेकिन कभी उन्होंने कटुता नहीं दिखाई। उन्होंने सदैव मेरा बड़े भाई की तरह सम्मान किया। ऐसा ही अनुभव है फतेहपुर के मौजूदा विधायक नंदकिशोर महरिया का। महरिया का कहना है कि मैंने कई बार भंवरू के सामने चुनाव लड़ा। एक बात महसूस की वे किसी से कटुता नहीं पालते थे। चुनाव के बाद जब भी मिलते तो बेहद खुशमिजाज नजर आते। ऐसा कभी नहीं लगता कि वे चुनाव जीते हैं और दूसरे पार्टी के हैं। इधर, उनके निधन से फतेहपुर सहित जिलेभर में कांग्रेसियों में शोक छा गया। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक फतेहपुर कस्बे में 164 करोड़ रुपए की सीवरेज योजना और फ्लोराइडमुक्त पानी के लिए करीब आठ सौ करोड़ से ज्यादा की अंब्रेला परियोजना शुरू करवाने में उनका अहम योगदान रहा। इसके अलावा रामगढ़ को तहसील का दर्जा दिलाना, फतेहपुर में ट्रोमा सेंटर खुलवाना जैसी उपलब्धि भी उनके नाम हैं।
भंवरूखां ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रोलसाहबसर गांव से की थी। गांव का सरपंच बनने के बाद उन्होंने विधायक का चुनाव लड़ा। पहला ही चुनाव जीत गए। उस वक्त 36 साल उम्र थी। उनकी नजदीकियां पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला से ज्यादा रही, फतेहपुर के भाजपा से पूर्व विधायक बनवारीलाल भिंडा बताते हैं, मैं और भंवरू खां अलग-अलग पार्टियों से थे। आमने-सामने चुनाव भी लड़े, लेकिन कभी उन्होंने कटुता नहीं दिखाई। उन्होंने सदैव मेरा बड़े भाई की तरह सम्मान किया। ऐसा ही अनुभव है फतेहपुर के मौजूदा विधायक नंदकिशोर महरिया का। महरिया का कहना है कि मैंने कई बार भंवरू के सामने चुनाव लड़ा। एक बात महसूस की वे किसी से कटुता नहीं पालते थे। चुनाव के बाद जब भी मिलते तो बेहद खुशमिजाज नजर आते। ऐसा कभी नहीं लगता कि वे चुनाव जीते हैं और दूसरे पार्टी के हैं। इधर, उनके निधन से फतेहपुर सहित जिलेभर में कांग्रेसियों में शोक छा गया। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक फतेहपुर कस्बे में 164 करोड़ रुपए की सीवरेज योजना और फ्लोराइडमुक्त पानी के लिए करीब आठ सौ करोड़ से ज्यादा की अंब्रेला परियोजना शुरू करवाने में उनका अहम योगदान रहा। इसके अलावा रामगढ़ को तहसील का दर्जा दिलाना, फतेहपुर में ट्रोमा सेंटर खुलवाना जैसी उपलब्धि भी उनके नाम हैं।
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