क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में स्थित जलदाय विभाग की टंकियां लोगों के लिए
खतरा बनी हुई है। दांतरू और बिराणियां में बनी टंकियां क्षतिग्रस्त हालत
में है। गांव दांतरू में सन १९८२ में बनी टंकी इस कदर क्षतिग्रस्त है कि
कभी भी गिर सकती है। जलदाय विभाग के नियमों के अनुसार इन टंकियों की उम्र
25 वर्ष मानी जाती है। इस अवधि के बाद ये नकारा हो जाती है। टंकी पर चढऩे
की सीढिय़ां पूरी तरह से टूटकर जमीन पर गिर चुकी है। टंकियों के सफाई हुए
सालों बीत चुके हैं। इसके बावजूद विभाग द्वारा उन्हीं टंकियों से सप्लाई
कराई जा रही है। दूषित पानी से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ रहा है। कुछ यही हाल बिराणिया में स्थित उच्च जलाशय की टंकी का है।
टंकी की चारों और मोटी दरारे पड़ जाने से टंकी से पानी का निरंतर रिसाव
हो रहा है। टंकी की छत टूटी होने के कारण कई बार पक्षी भी टंकी में गिर
जाते हैं। इसके बावजूद क्षेत्र के लोग उसी टंकी का दूषित पानी पीने को
मजबूर हैं। दांतरू और बिराणियों के ग्रामीणों ने जलदाय विभाग से इन दोनों
नकारा हो चुकी टंकियों को ध्वस्त कर नई टंकी बनाने की मांग की है।
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